नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप श्री शिव चालीसा Shiv Chalisa PDF, एवं Shi Chalisa in Hindi PDF Download कर सकते हैं | शिव चालीसा 40 श्लोकों से मिलकर बनी एक चालीसा हैं, जो भगवन शिव, महादेव, रूद्र, नीलकंठ, और भोले भंडारी शिव की महिमा गुण और विशेषताओं का वर्णन करती हैं | शिव चालीसा का पाठ करने से भगवन शिव सदैव अपने भक्तजन पे अपनी कृपा बनायें रखते हैं |
PDF Name | Sankat Mochan Hanuman Ashtak PDF |
PDF Category | Religious & Spirituality |
No. of Pages | 03 |
PDF Size | 0.32 MB |
Source/Credit | Multiple Sources |
Published/Update | 27.05.2023 |
Uploaded By | Vidhya Sharma |
शिव चालीसा | Shiv Chalisa in Hindi PDF
श्री शिव चालीसा जगत के आदियों में से एक सर्वश्रेष्ठ देवता भगवन शिव, देवों के देवों महादेव, नीलकंठ और अनेकों नाम से पुकारें जानें वालें भगवन शिव को समर्पित अहिं | शिव चालीसा शिव के भक्तों के बिच काफी प्रसिद्ध हैं और शिव भक्तों द्वारा भक्ति और आराधना के लिए बड़े श्रद्धापूर्वक शिव चालीसा का पाठ किया जाता हैं | शिव प्रार्थना और शिव चालीसा निचे देख सकते हैं और साथ आप शिव चालीसा PDF Downlaod कर सकते हैं |
Shiv Chalisa Lyrics PDF in Hindi
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान॥
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे । सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी । देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा । सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई । अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला । जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई । कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर । भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी । करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो । येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट ते मोहि आन उबारो॥
मात-पिता भ्राता सब होई । संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु मम संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदा हीं । जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी । क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन । मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं । शारद नारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमः शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई । ता पर होत है शम्भु सहाई॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी । पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे । ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा । ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे । शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम उठि प्रातः ही,पाठ करो चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश॥
मगसिर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान।
स्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण॥
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FAQ Shiv Chalisa
शिव चालीसा क्या हैं?
शिव चालीसा भगवान् शिव को समर्पित हैं | शिव चालीसा में शिव के गुणों, महिमा और आराधना का एक प्रमुख पाठ हैं | जो भक्त नियमतः शिव चालीसा का पाठ करने वालें भक्त पे सदैव शिव की कृपा बनी रहती हैं |
शिव चालीसा का किसने लिखा था?
चालीसा चौपाइयों के शिव चालीसा जो शिव पुरान से ली गई हैं | ऋषि अयोध्या दास द्वारा लिखी गई हैं |
शिव चालीसा के फायदे क्या हैं?
वेदों के अनुसार शिव भक्त शिव चालीसा का अनुसरण अपनें जीवन की कठिनाईयों और बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता हैं | शिव के जो भी भक्त उनके चालीसा का पता नियमित रुप से करता हैं उनपे सदैव शिव की कृपा बनी रहती हैं |
शिव चालीसा कब पढना चाहिए?
शिव चालीसा का जाप शाम को या रात को सोने से पहले भी कर सकते हैं | लेकिन शिव चालीसा का पाठ करने के लिए सबसे अच्छा समय सुबह का हैं | अधिमनातः ब्रह्म मुहूर्त (04:00 से 05:00 बजे) में |