Laxmi Chalisa Hindi PDF | लक्ष्मी चालीसा Lyrics in हिंदी PDF, Hindi Laxmi Chalisa, Mata Laxmi Chalisa in Hindi PDF Download करने के लिए दिए गये हैं | यदि आप माता लक्ष्मी की चालीसा को खोज रहे हैं, तो आप बिल्कुल सही जगह हैं | निचे हमनें माता लक्ष्मी चालीसा के साथ-साथ Laxmi Mata Chalisa PDF डाउनलोड करने के लिए भी दिया हैं |
Laxmi Chalisa PDF Overview
PDF Name | Sankat Mochan Hanuman Ashtak PDF |
PDF Category | Religious & Spirituality |
No. of Pages | 03 |
PDF Size | 0.32 MB |
Source/Credit | Multiple Sources |
Published/Update | 27.05.2023 |
Uploaded By | Vidhya Sharma |
Laxmi Chalisa Lyrics in Hindi PDF
माता लक्ष्मी सम्पूर्ण विश्व की माता हैं माँ लक्ष्मी धन-दौलत, सम्पति, सौभाग्य और समृधि की देवी हैं | माता लक्ष्मी की पूजन जो भी भक्त सच्चे श्रद्धा और भक्ति से करते हैं, उन्हें समृधि और धन की प्राप्ति होती हैं | इसलिए लक्ष्मी माता के सभी भक्तों के द्वारा लक्ष्मी माता की चालीसा को पढ़ा जाता हैं | जिससे माता लक्ष्मी सदैव अपनी कृपा भक्तों पर बनाई रखती हैं | लक्ष्मी चालीसा माता की स्तुति करता हैं और भक्तों को सौभाग्य, समृद्धि और आनंद का आशीर्वाद देती हैं |
लक्ष्मी चालीसा एक प्रमुख पूजा पाठ है जो लक्ष्मी भक्तों द्वारा नियमित रूप से की जाती है। यह चालीसा पूजा के दौरान पाठ की जाती है और भक्तों को मां लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करती है। इसमें कई श्लोक होते हैं, जो माता लक्ष्मी के महिमा और गुणों का वर्णन करते हैं | यह मंत्र भक्तों के द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ा जाना चाहिए ताकि उसकी प्रार्थना स्वीकार हो और उन्हें माँ का आशीर्वाद मेलें |
Laxmi Chalisa | श्री लक्ष्मी चालीसा
II दोहा II
मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास II
मनोकामना सिद्ध करि, परुवहु मेरी आस II
II सोरठा II
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं II
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदम्बिका II
II चौपाई II
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही । ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोही II
तुम समान नहिं कोई उपकारी । सब विधि पुरवहु आस हमारी II
जय जय जगत जननि जगदम्बा । सबकी तुम ही हो अवलम्बा II
तुम ही हो सब घट घट वासी । विनती यही हमारी खासी II
जगजननी जय सिन्धु कुमारी । दीनन की तुम हो हितकारी II
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी । कृपा करौ जग जननि भवानी II
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी । सुधि लीजै अपराध बिसारी II
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी । जगजननी विनती सुन मोरी II
ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता । संकट हरो हमारी माता II
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो । चौदह रत्न सिन्धु में पायो II
चौदह रत्न में तुम सुखरासी । सेवा कियो प्रभु बनि दासी II
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा । रुप बदल तहं सेवा कीन्हा II
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा । लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा II
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं । सेवा कियो हृदय पुलकाहीं II
अपनाया तोहि अन्तर्यामी । विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी II
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी । कहं लौ महिमा कहौं बखानी II
मन क्रम वचन करै सेवकाई । मन इच्छित वांछित फल पाई II
तजि छल कपट और चतुराई । पूजहिं विविध भांति मनलाई II
और हाल मैं कहौं बुझाई । जो यह पाठ करै मन लाई II
ताको कोई कष्ट नोई । मन इच्छित पावै फल सोई II
त्राहि त्राहि जय दुः ख निवारिणि । त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी II
जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै । ध्यान लगाकर सुनै सुनावै II
ताकौ कोई न रोग सतावै । पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै II
पुत्रहीन अरु सम्पति हीना | अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना II
विप्र बोलाय कै पाठ करावै । शंका दिल में कभी न लावै II
पाठ करावै दिन चालीसा । ता पर कृपा करैं गौरीसा II
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै । कमी नहीं काहू की आवै II
बारह मास करै जो पूजा । तेहि सम धन्य और नहिं दूजा II
प्रतिदिन पाठ करै मन माही । उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं II
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई । लेय परीक्षा ध्यान लगाई II
करि विश्वास करै व्रत नेमा । होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा II
जय जय जय लक्ष्मी भवानी । सब में व्यापित हो गुण खानी II
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं । तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं II
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै । संकट काटि भक्ति मोहि दीजै II
भूल चूक करि क्षमा हमारी । दर्शन दजै दशा निहारी II
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी । तुमहि अछत दुः ख सहते भारी II
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में । सब जानत हो अपने मन में II
रुप चतुर्भुज करके धारण । कष्ट मोर अब करहु निवारण II
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई । ज्ञान बुद्धि मोहि नहिं अधिकाई II
II दोहा II
त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास II
जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश II
रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर II
मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर II
श्री लक्ष्मी चालीसा
दोहा:
जय जय जगतजननी अवधबिहारिणी।
सदगुणवर्णात्मिका नरेन्द्रवंदनी॥
चौपाई:
महालक्ष्मी जी की आरती जो कोई नर गावै।
रिद्धि-सिद्धि, सुख-सम्पत्ति, ज्ञान-भक्ति पावै॥
पद्मासना पटकर मुखे, द्वारपार वाजे।
माला और कमण्डलु, रटबैजा साथ लावे॥
दोहा:
जय जय जगदम्बा विद्यालया त्रिलोकेश्वरी।
त्रिभुवन सुखदात्री भगवति त्रिलोकरी॥
चौपाई:
चन्द्रवदन नयन चकोर, सुन्दर मुकुट धारी।
शुभ सीमंतिनी लिये, ग्रहचार की सवारी॥
हिरणी मुद्गर करि धरे, श्याम कमण्डल धारी।
सुबह दोपहर का माली जब करे देवता पूजारी॥
दोहा:
महालक्ष्मी जी की आरती जो कोई नर गावै।
रिद्धि-सिद्धि, सुख-सम्पत्ति, ज्ञान-भक्ति पावै॥
चौपाई:
कर में वीणा श्वेत कमण्डलु रत्न छात्री।
जटा में मुकुट मणि शोभा छात्र पट छात्री॥
गदा में खड्गु, अष्टधातु से युक्त विभूषणी।
सूची मुख सोहे त्रिभुवन मनोरथ प्रदानी॥
दोहा:
जय जय जगतजननी अवधबिहारिणी।
सदगुणवर्णात्मिका नरेन्द्रवंदनी॥
चौपाई:
महादेव जी तब विष्णु ध्यावै।
ब्रह्मा रूप नरसिंह नरनर आवै॥
दुर्गा साम जगत अपारा।
ताकि निमित्त साधु सभी प्यारा॥
दोहा:
जय जय जगदम्बा विद्यालया त्रिलोकेश्वरी।
त्रिभुवन सुखदात्री भगवति त्रिलोकरी॥
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FAQ Laxmi Chalisa
श्री लक्ष्मी चालीसा क्या हैं?
यह माता लक्ष्मी के पूजन भजन या प्रार्थना हैं, जो धन, समृद्धि और प्रचुरता की देवी लक्ष्मी को समर्पित हैं |
How to Download Laxmi Chalisa PDF?
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लक्ष्मी चालीसा को किसने लिखा हैं?
माना जाता हैं की इस चालीसा की रचना सुन्दरदास नें की थी |
माता लक्ष्मी जी का मूल मंत्र क्या हैं?
ॐ श्रीह्नी श्री कमले कमलालये प्रसिद्ध श्री ह्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः |
लक्ष्मी को खुश कैसे करें?
माता लक्ष्मी धन, सम्पदा, शान्ति और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं | इन्हें खुश करने के लिए शुक्रवार की रात को सोने से पहले माँ लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर पर मोगरे का इत्र या फिर मोगरे की माला अर्पित करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं | और अपने भक्तों को आशिर्वाद देती हैं |